धरना स्थल पर गाते बजाते पटना के रंगकर्मी |
लाल सलाम के फेसबुक वाल से साभार.
सुबह से कलाकारों
की भीड़ प्रेमचंद रंगशाला के परिसर में इकठा हुई, जैसा की अनुमान था
की पुलिस की पूर्वरंग की तैयारी होगी लेकिन ऐसी कोई बात नहीं थी, रंगकर्मियों ने रंगशाला के मुख्य भवन के मुख्य
गेट पर ताल जड़ दिया, आज विरिष्ठों की संख्या बढ़ी रंगकर्मियों
को ताकत मिली , उनके अनुभव के आधार पर आन्दोलन की रूप रेखा
तय करने की बात हुई, एक अति वरिष्ट रंगकर्मी श्री अजीत
गांगुली जी ने कहा की " जैसे जय प्रकाश नारायण ने इंदिरा गाँधी रूपी बटन को
दबाया तो हिंदुस्तान में सत्ता बदल गई, ठीक उसी तरह विभा
सिन्हा रूपी बटन दबाने से सारा कल्चरल सिस्टम बदलेगा " और लगभग 12 बजे दिन में ये बात साबित भी हुई, हमें पता चला की
जॉइंट सेक्रेटरी के साथ दो सदस्ये जाँच कमिटी बना दी गई है जो विभा सिन्हा मामले
की जाँच करेगी, वो टीम बारह बजे रंगशाला पहुंचा, कलाकारों ने अपनी बात बताई, चंचल जी को फिर नेवता
भेज गया , रंगकर्मियों ने विभा सिन्हा की सारी कर गुजारी कह
सुनाई मांगे दुहराई, विभा सिन्हा की बर्खास्तगी , बिहार संगीत नाटक अकादमी का पुनर्गठन, टीम अस्वाशन
देके चली गई , कलाकार डटे रहे, कल फिर
तालाबंदी है , मांग जब तक पूरी नहीं होती तबतक.
आइये थोड़ी बात कल
के घटना क्रम पर. कल सारे रंगकर्मी बाहर गेट पर धरना दे रहे थे तो रंगशाला के पिछले
गेट से विभा सिन्हा रंगशाला में बारह बजे घुसी और शाम पांच बजे निकली और सारे
जरुरी कागजात नृत्यकला मंदिर ले गई खबर है. आज वह वहां मोजूद थी, एक
बात और साफ कर देना चाहता हूँ, की रंगकर्मी हो रहे अभिनय
कार्यशाला का विरोध नहीं कर रहे है , अगर ऐसा होता तो
रंगकर्मी भारतीय नृत्य कला मंदिर में भी तालबंदी करते पर ऐसा नहीं है , इससे साफ पता चलता है की आन्दोलन का रुख एकदम साफ है कि प्रेमचंद रंगशाला
को भ्रष्ट विभा सिन्हा के चंगुल से आजाद करना, तो जो
रंगकर्मी भाई कार्यशाला में शामिल है , वो कार्यशाला में
अपना पीआर के बनाने के चक्कर में संघर्ष
कर रहे साथियों के लिए अनुचित न बोले ( ऐसा निवेदन है ) क्यों की बाते कभी छुपती
नहीं , काम तो हमें एक साथ ही करना है, और हाँ इस पोस्ट के साथ एक खाली तस्वीर है, जो
रंगशाला की बाये तरफ की दीवाल की है, आज पता चला की विभा
सिन्हा इस जगह पर बाहरी लोगों के निजी वाहनों को पार्किंग की सुबिधा उपलब्ध कराती
थी , सम्भव है वो इसका टेक्स भी उन्हें देते हों, , इन्होने कलाकारों के पैसे दो -दो सालो तक अपने निजी खाते में रखे हैं ,
ये अपना कमीशन पहले मांग लेती है तब पैसा देती है , सरकारी नियम के अनुसार 20,000 से बड़ी राशी का
भुगतान चेक से करना है, पर मैडम 50,000 रूपये नगद बंटती है
और बिना रसीद के टी .डी .एस . भी काटती हैं, राशि कितनी भी
बड़ी क्यों न हो मैडम के खाते में जायेगा जरूर , इसको क्या
कहेंगे ? अब भ्रष्टाचार कैसा होता है ?
आज का दिन कल जैसा उतर चढ़ाव भर नहीं रहा, कल 8 बजे से फिर ताल बंदी
है, उम्मीद है कल कुछ निर्णायक मोड़ आये ,और
उम्मीद पर दुनिया कायम है, पर मांगों से कोई समझोता नहीं
होगा .!
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