रंगमंच तथा विभिन्न कला माध्यमों पर केंद्रित सांस्कृतिक दल "दस्तक" की ब्लॉग पत्रिका.

रविवार, 21 जुलाई 2013

विभा सिन्हा की बहाली ही फर्जी, बिहार संगीत नाटक अकादमी एक सांस्कृतिक घोटाला


lal salaam ke waal se..

जैस की कल रात को ही खबर थी की विभा सिन्हा ने अपने दैनिक कर्मचारी तिवारी जी को ये आदेश दिया था की , कल अहले सुबह से ही मेन गेट पर ताला मार देना ताकि कोई अन्दर जा ही न पाये, हुआ भी यही जब रंगकर्मी सुबह पहुंचे तो ताल बंद मिला, ज्ञात हो की एक ग्रुप वहां पिछले ५ दिन दिन से रिहर्सल कर रहा था , इसकी सूचना ग्रुप ने विभा सिन्हा को लिखित में १० दिन पहले ही दे दी थी , वावजूद इसके ये हुआ , उस ग्रुप का रिहर्सल नहीं हो पाया , रंगकर्मियों ने भी ताले के ऊपर ताल जड़ दिया और लगे जोगीरा गाने, आज सरकारी महकमे को डी० एम्०, एस० पी ० , डी ० एस ० पी ० किसी को रंगकर्मियों याद नहीं आये , मगर जो लोग आये, जो ख़बरें आई और जो तथ्य आये उस ने आन्दोलन की धार तेज कर दी वो इस आन्दोलन के लिए खास थे, आज होसला बढ़ने प्रसिद्ध कवि गोपाल सिंह "नेपाली" जी की भतीजी डाक्टर सबिता सिंह "नेपाली" आयीं , कुमार अनुपम आये, आज ही छत्तीसगढ़ के रंगकर्मी सथियों ने भी अपना समर्थन जताया ,कल प्रवीण कुमार गुंजन भी पटना आके आन्दोलन में सहभागी बनेगें, अब उन तथ्यों पर चर्चा जो आज सामने आये ,जो किसी को भी चोकाने के लोए काफी है ,

दरअसल प्रेमचंद रंगशाला में जिस बिहार संगीत नाटक अकादमी का कार्यालय है, इमानदार विभा सिन्हा जिस की सह - सचिव है और जिस , बिहार संगीत नाटक अकादमी के नियंत्रण में रंगशाला का सञ्चालन होता है वास्तव में इस नाम से कोई संस्था संगठन कही पंजीकृत ही नहीं है , बिहार संगीत नाटक अकादमी का आज तक पंजीकरण हुआ ही नहीं है, नहीं इसकी नियमावली है, और श्री मति विभा सिन्हा की बहाली भी फर्जी है ये किसी कमीशन से नहीं आई है , बल्कि इनकी भली का जो विज्ञापन अख़बार में आया था वो वर्गीकृत कोलम में आया था , जहा सरकारी विज्ञापन नहीं आते , जब किसी तरह का पंजीकरण ही नहीं है तो सरकारी पद कैसा, इसलिए ये पेचीदा मामला है , की आखिर इन पर और बिहार संगीत नाटक अकादमी पर बिहार सरकार पैसे खर्च कैसे करती है, उनका हिसाब कैसे रखा जाता है , इन सब से बड़े सांस्कृतिक घोटाले की बू आती है , आज ही ये बात सामने आये की सुल्तान गंज थाने में इनके खिलाफ कई वर्षों से मामला दर्ज है, इस पोस्ट के साथ विभा सिन्हा की पोल खोलता , उनके अत्याचारों और उनकी ऊँची रुसूख की गवाही देता एक सरकारी चिठी भी पोस्ट कर रहा हूँ जो तत्कालीन मुख्य मंत्री बिहार को लिखा गया है, ऐसे कई दस्तावेज आने बाकि है, ये हमें कानून सिखाते है, रंगशाला में इनका ऑफिस और ये कैसे है, इसका जवाब चंचल जी दें, रंगशाला से किसे बाहर जाना चाहिए श्री मति विभा सिन्हा को या रंगकर्मियों को .....! मित्रों आन्दोलन आन्दोलन जरी है, अपने सारे पूर्व मांग के साथ बिना किसी समझोते के कल फिर सुबह ८.०० बजे से धरना जरी रहेग अपना समर्थन हमें दे 

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