रंगमंच तथा विभिन्न कला माध्यमों पर केंद्रित सांस्कृतिक दल "दस्तक" की ब्लॉग पत्रिका.

रविवार, 28 जुलाई 2013

31 जुलाई 2013 को प्रेमचंद रंगशाला चलो !

पटना में समस्त संस्कृतिकर्मियों द्वारा वितरित किया जा रहा पर्चा.

बिहार संगीत नाटक अकादमी में व्याप्त भ्रष्टाचार व अराजकता के खिलाफ़ 31 जुलाई 2013 ( प्रेमचंद जयंती ) को 10 बजे दिन में 

प्रेमचंद रंगशाला चलो !

मित्रों,

रंगकर्मियों – संस्कृतिकर्मियों की अगुआई में वर्षों तक चलाए गए संघर्ष की बदौलत प्रेमचंद रंगशाला को सीआरपीएफ  के कब्ज़े से मुक्त कराया गया | बाद में इसका जीर्णोद्धार हुआ तथा स्वयं मुख्यमंत्री ने इस राजकीय रंगशाला का उदघाटन किया | रंगकर्मियों को उम्मीद थी कि प्रेमचंद रंगशाला के नवनिर्माण से संस्कृतिकर्म को गति मिलेगी | लेकिन हुआ क्या ? बेहद अफ़सोस व शर्म की बात है कि ‘सुशासन’ के राज में घोषित की गई ‘राजकीय रंगशाला’ आज अश्लीलता की संस्कृति का केन्द्र बनने की ओर अग्रसर है | संस्कृतिकर्मियों के लिए बनी इस रंगशाला को यहाँ के प्रशासकों ने सिर्फ़ मुनाफ़े हेतू दवा इत्यादि बेचनेवाली व्यावसायिक कंपनी के लिए खोल दिया है | ( हाल में ऐसी ही एक कंपनी के कार्यक्रम में सरेआम अश्लीलता का प्रदर्शन हुआ | ) जबकि संस्कृतिकर्मियों के लिए रंगशाला बुक कराना एक बेहद मुश्किल काम बना दिया गया है |
विदित है कि प्रेमचंद रंगशाला भवन में ही बिहार संगीत नाटक अकादमी का कार्यालय भी है | अकादमी की प्रभारी सचिव विभा सिन्हा के आदेश से उपयुक्त करवाईयां बे-रोक-टोक चल रही हैं | संस्कृतिकर्मियों ने जब-जब उनसे शिकायत करनी चाही, उन्होंने अपना तानाशाहपूर्ण रवैया दिखाया | संक्षेप में, संस्कृतिकर्मियों को प्रेमचंद रंगशाला से दूर करने की साजिश साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है | याद रहे, ‘फणीश्वरनाथ रेणु हिंदी भवन’ को  साहित्यकारों – संस्कृतिकर्मियों से छीनकर इस हुकूमत ने मैनेजरी की पढ़ाई के हवाले कर दिया है | बहरहाल, हमारा मानना है कि  बिहार संगीत नाटक अकादमी घोर अराजकता व भ्रष्टाचार का शिकार बन चुका है तथा इसके पुनर्गठन की तत्काल आवश्यकता है |
दोस्तों, पिछले कई दिनों से यहाँ के रंगकर्मी – संस्कृतिकर्मी उपरोक्त अराजकता व भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लगातार आन्दोलनरत हैं | लेकिन, फिलहाल अनेक मंत्रालयों समेत कला-संस्कृति से जुड़े विभाग भी अपने हाथ में रखनेवाले माननीय मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं | यहाँ तक कि विभाग के सचिव चंचल कुमार ने भी आंदोलनकारियों से मिलाने की जहमत नहीं उठाई | सरकार की तरफ़ से कोई भी सकारात्मक प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है | लिहाज़ा, हम तमाम संस्कृतिकर्मी अपने इस आंदोलन को और बड़े दायरे में ले जाने के लिए बाध्य हैं | इसलिये  हम, आप तमाम जागरूक नागरिकों, बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, रंगकर्मियों, संस्कृतिकर्मियों से अपील करते हैं कि सत्ता की तरफ़ से अप-संस्कृति को बढ़ावा दिए जाने तथा ख़ास तौर पर रंगकर्म-संस्कृतिकर्म की मर्यादा पर हमले के खिलाफ़ ‘प्रेमचंद जयंती’ (31 जुलाई) को ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में प्रेमचंद रंगशाला पहुंचें | पटना समेत राज्य के अन्य हिस्सों से अनेक नाट्य व सांस्कृतिक दल उस दिन वहाँ अपने नाटकों-गीतों अदि का प्रदर्शन तथा अपनी मांगों के समर्थन में प्रतिरोध का स्वर बुलंद करेंगें |

हमारी मांगें 

बिहार संगीत नाटक अकादमी की सचिव विभा सिन्हा को बर्खास्त करो ! 
प्रेमचंद रंगशाला के संचालन में रंगकर्मियों-संस्कृतिकर्मियों की भागीदारी सुनिश्चित करो ! 
बिहार संगीत नाटक अकादमी का पुनर्गठन किया जाये  और इसके संचालन में रंगकर्मियों-संस्कृतिकर्मियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाये ! 
बिहार संगीत नाटक अकादमी का संविधान बनाने में रंगकर्मियों-संस्कृतिकर्मियों की सक्रिय भूमिका हो !

निवेदकसमस्त संस्कृतिकर्मी.
   

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