यह बात अमूमन सुनने को मिलती है कि स्थितियां अनुकूल नहीं मिली नहीं तो मैं क्या से क्या होता. यह बात किसी भी बहाने से ज़्यादा कुछ नहीं हैं क्योंकि यदि हम समय और अनुकूल स्थिति के इंतज़ार में बैठे रहे तो वो कभी भी अनुकूल नहीं होने वाला है. जिसमें दम होता है वो स्थितिओं को अनुकूल बनाते हैं, ना कि उसके इंतज़ार में अपना कीमती समय बर्बाद करते हैं. इसलिए दुनियां की सारी व्यस्तताओं के बीच भी हमें अपने सपनों को ना केवल ज़िंदा रखना चाहिए बल्कि उसे पूरा करने के लिए लगातार प्रयत्शील और कार्यरत भी रहना चाहिए. सुमित कुछ दिनों से अभ्यास में नहीं आ पा रहा है, इसका कारण यह रहा –
#सुमित - क्षमा चाहूंगा, मैं अपने वर्ग में उपस्थित नहीं हो पा रहा हूँ अब कारण मजबूरी है या परेशानी, पता नहीं! लेकिन कह भी नही सकते क्योंकि रंगमंच की दुनिया मे मजबूरी जैसा कोई शब्द ही नही बना और परेशानी तो बस बहना है, क्योंकि करोड़ो लोग ज़िन्दगी की रंगमंच में बतौर परेशानी अपने काम को, बिना किसी रुकावट के ऐसे करते है मानो उनका जीवन कितना सरल है-लेकिन वास्तव में ऐसा है नही, जैसा कि हम सब जानते है.
खैर मैं बताते चलूं कि मेरा सम्बंध एक किसान परिवार से होने के कारण, मुझे अपनी थोड़ी व्यस्तता अपने पापा के साथ खेत में बितानी पड़ रही है. पहले मेरा नज़रिया आम था, मगर अब कितना ख़ास हुआ है ये भी नही कह सकते। मैं सुबह 6 बजे के क़रीब- क़रीब अपने काम को रवाना हो जाता हूँ और इस दरमियाँ मैंने कई चीज़ों का अवलोकन किया हूँ, जिसकी चर्चा संक्षेप में करता हूँ।
1- जहाँ तक काम की अहमियत और अपने जीविकोपार्जन के लिए कठोर श्रद्धा, कड़ी परिश्रम को सीखना है तो महिलाओं से बेहतर शायद, हमलोगों को कोई और नही सीखा सकता है । मैंने एहसास किया कि कैसे वो हर रोज़ प्रातः 5 बजे, वो अपने घर का सारा काम, बच्चो का खाना, घर की सफ़ाई, झाड़ू और नियमित काम को करने के बाद पूरे दिन गीली मिट्टी में झुककर काम करती है औऱ तक़रीबन 6 बजे शाम को घर जाती है उसके बाद घर का सारा काम वापस वही करती है। तो मुझे लगता है कि जो मर्दो में मर्द बने फिरते है और जिनका कहना ये है - हम बहुत काम करते है तो निकाल फेंकिए.... वैसे मैं कुछ तस्वीर संग्लन करूँगा कैसे काम करती है।
2-हर सिक्के के दो पहलू होते है। तो कुछ पुरुष प्रधान वर्ग भी बहुत मेहनती, बहुत ज्यादा गंभीर होते है जिन्हें हम हर रोज़ देख ही लेते है वैसे लोग भी है जो मेरे सामने संघर्ष करते है जैसे-हमारे सामने ही चार लोग मिलकर पूरे खेत को जो करीब-क़रीब 2 एकड़ ज़मीन है को एक नया आयाम दे देते है, पानी, डंडे और कुछ दवाइयों से । जिनपे किसान को सहूलियत होती है फसल लगाने में। सचमुच दुनिया तो मेहनतकश लोगों के हाथों में ही है ।
अब थोड़ी नज़र हम अपने अभिनेताओं की डायरियों पर डाले तो सचमुच बहुत कुछ सीखने को मिलता है -अब जब दुनिया के महान रचनाकारों के विचार और अभिनेताओं के विचार आपस में साझा होंगे तो वाज़िब है कि नवीनता तो अवश्य आएगी ।
बाकी अपनी डायरी मैं कल और लिखूंगा, पहली बार अपने दिल की बात किसी के सामने रख रहा हूँ ये भी मेरे लिए बहुत बड़ी बात है और भी बहुत प्रश्न है जो मेरे दिमागों में गूंजती रहती है जिसकी खोज लगतार जारी है। हमेशा कोशिश करता हूँ कि पहले खुद ही तलाश करूँ । बाकी भैया तो हैं ही.
#एदीप राज – अभ्यास का सही उपयोग तभी है जब सही तरीक़े और सही मार्गदर्शन में किया जाय। सोचो, समझो फिर करो या फिर करो, सोचो और समझो.
#चंदन राय – जीवन में समय का महत्व सबसे ज़्यादा है. बीता हुआ वक्त कभी वापस नहीं आता. आज कुछ लोग देर से आए। जिसकी वजह से समयनिष्ठता(punctuality) के फ़ायदे के बारे में जाना। जो कि बिना अपनाए नहीं जाना जा सकता है। इसके फ़ायदे ये हैं की आपको अपने लक्ष्य से भटकने नहीं देता हैं। आपके उत्साह और कार्य-शक्ति को भी कम नहीं होने देता है। शरीर की मांसपेशियों में तनाव और सिकुड़न, सहनशक्ति(स्टैमिना)वृद्धि ,जागरूकता(अवेयरनेस) आदि को लक्ष्य करके आज का अभ्यास हुआ। जिसके ना केवल एक कलाकार के बतौर बल्कि आम ज़िदगी में भी बहुत फ़ायदे है। वार्त्तालाप सत्र में मानसिक चित्रण (visualisation) और कल्पना(imagination) पर चर्चा हुई। बाकि आगे-आगे देखिए होता है क्या?
#प्रशांत कुमार - सर ने आज इमेजिनेशन पावर और विजुलाइजेशन पावर के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि बिना मेनहत के कुछ नही हो सकता। कुछ बनने के लिए आपको काफी मेहनत करना होगा।
#सुशांत - आज हमलोगों के दिन का शुरुआत गुरुजी के डांट से हुआ। हमारी गलती थी कि हमलोगों ने अपने रिहर्सल स्थान को साफ नही किया था। गुरुजी ने कहा कि पेशेवर आर्टिस्ट ऐसे नही होते, ग्रुप का मतलब यह नही होता है कि दो काम करे और बाकी लोग देखें। ग्रुप का मतलब होता है काम जैसा भी हो , सबलोग आपस में मिल कर करे।
उसके बाद हमलोगों ने जम कर व्यायाम किया। आज के सारे व्यायाम नये थे। बॉडी स्ट्रैचिंग और पावर जेनेरेट करने वाला। आज हमलोगों ने सीखा की व्ययाम करते समय थोड़ा सा भी ध्यान इधर उधर होने पर एक बड़ी दुर्घटना हो सकती है। आज गुरु जी ने हमलोगों को पेशेवर, मानसिक चित्रण और कल्पना शब्दों से रुबरु करवाया। एक कलाकार का मानसिक चित्रण और कल्पनात्मक क्षमता मजबुत होना चाहिए।
#निशा- आज हम सब को सर से डांट पड़ी, जो हमारे भलाई के लिए था । आज हमने नया व्यायाम सीखा जो हमारे शरीर के लिए लाभदायक है। आज सर ने दो बातें बताईं (professional ) अनुभवी व्यक्ति और (Imagination Power )कल्पना शक्ति । ये दोनों चीज़े हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं.
#सोनू - आज मेरी एक ग़लती की वजह से मेरे सभी मित्रों को डांट खानी पड़ी, अगर मैं क्लास जाते ही मोबाइल न चलाकर जिस स्थान पर हमलोग व्यायाम करते हैं, उस स्थान की सफाई कर दिया होता तो शायद डांट नहीं खानी पड़ती | खैर जो भी हुआ अच्छे के लिए ही हुआ. कुछ सीखने को तो मिला! बहरहाल रोज़ की तरह आज फिर नये-नये व्यायाम से रूबरू हुआ, सर जी व्यायाम कराने के साथ-साथ उसे समझा भी रहे थे |
#राकेश कुमार- आज दिन की शुरुआत थोड़ी डांट से हुई। शब्द, खामोशी और नज़र से जो मार पड़ी है उसका असर मेरे मन के अंदर तक हुआ है। उससे मुझे शर्मिंदगी महसूस हो रही है। अब मैं नया रूटिंग बनाऊंगा। नित्य नए एक्सरसाइज सीख रहा हूं, लेकिन आज एक नई बात भी सीखने को मिली कि हर एक्सरसाइज का हमारे शरीर, मांसपेशियों और मनःस्थिति पर अलग-अलग असर पड़ता है इसलिए कभी भी एक्सरसाइज को हल्के में नहीं लेना चाहिए वरना उसका दुष्परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। बॉडी एक्सरसाइज के बाद हम लोगो ने दो बातों के बारे मे जाना एक इमेजिनेशन- अपने कल्पना शक्ति को बढ़ाना और अपने भावनाओं के दायरे को बढ़ाना। दूसरा मानसिक चित्रण के बारे मे जानकारी मिली।
#निवास- दुनियां में हर दिन कुछ नया होता है तो क्या हम अपने जीवन में नित्य कुछ नया नहीं कर सकते है? क्या हम अपने जीवन का हर एक दिन नया और बेहतर नहीं बना सकते है?
#आकश- आलस तो मन में होता है और कसूर शरीर पर थोप देते है। आज दिन की शुरुआत व्यायाम के बजाय डांट से हुई । फिर हमलोगों ने व्यायाम करते हुए यह जाना कि व्यायाम करते हुए कैसे सतर्क रहना चाहिए । नहीं तो, लापरवाही बरतने पर शरीर को नुकसान भी हो सकता है। मै बहुत कोशिश करता हूँ व्यायाम को सही ढंग से करूँ पर मुझसे नही हो पाता है। अभी मेरा शरीर जकड़ा हुआ है पर निरंतर कोशिश कर रहा हूँ कि इसे लचीला कर लूँ। मुझे मालूम है अगर मैने एक्सर्साइज़ किया तो फ़ायदा मुझे ही होगा इसलिए एक्सर्साइज़ को मैने कभी छोड़ा नही।
आज यह बात भी सिखा कि कलाकार को हमेशा पेशेवर नज़रिए के साथ कार्य करने की कोशिश करनी चाहिए। घटिया कला प्रस्तुत करने का हक किसी को नहीं है. मेहनत ज़रुरी है लेकिन सोच-समझकर, ना कि गधे की तरह।
#देवांश ओझा - इंसान हमेशा ही कुछ नया चाहता है। वह पुरानी चीज़ों को अपडेट करते रहता है। मेरी सबसे ज्यादा पसंदीदा अभिनेत्री श्रीदेवी का आज निधन हो गया. जैसे ही मैंने यह ख़बर सुना मेरा दिमाग सुन्न हो गया। मन उदास हो गया। आज रूम पर आते ही उनकी फिल्म देखी । देखा तो लगा कुछ लोग आते ही नूर बनके, सारे गुण उनमें भरपूर मात्रा में उपस्थित रहता है । कलाकार का शरीर मर सकता है उसकी कला अमर है.
#अभिनव कश्यप – किसी भी कलाकार में कल्पना शक्ति की प्रचुरता होनी चाहिए।
#अनुज - आप कोई भी काम करते है , और वही काम को एक लय में करते है, तो वह काम बेहतर से बेहतरीन हो जाता है।
हमारा अभ्यास सत्र भी आज ताल , लय का अभ्यास से शुरू हुआ । जिसमें हम अपने समुह के साथ लय में लय मिलाकर कैसे चले इसका अभ्यास किया। जिसमे हमने सीखा की पूरे समूह के ताल से आपको ऊर्जा मिलती है।
#राहुल सिन्हा - एक अभिनेता को सुर-ताल का भी ज्ञान होना चाहिए । जिससे, उसके अभिनय के साथ-साथ संगीत व नृत्य पर भी एक अच्छी पकड़ बन सके। इससे मानसिक संतुलन और शारिरिक संतुलन का सामंजस्य भी मजबूत होता है। सुर-ताल(संगीत) हर जगह मौजूद होती है। हमारे दिल की धड़कन में , चाल में, घड़ी की टिक-टिक में इत्यादि । अर्थात देखा जाए तो सुर-ताल हमारी जीवन में बहुत महत्व रखती है।
#अरुण कुमार - एक अभिनेता को सुर और ताल की अच्छी समझ होनी चाहिए।क्योंकि जब आप मंच पर कोई नाटक खेल रहे होतें हैं,तो नाटक का अपना एक सुर और ताल होता है। उसी सुर और ताल को समझते हुए एक अभिनेता अभिनय करता है।
#सुमित - क्षमा चाहूंगा, मैं अपने वर्ग में उपस्थित नहीं हो पा रहा हूँ अब कारण मजबूरी है या परेशानी, पता नहीं! लेकिन कह भी नही सकते क्योंकि रंगमंच की दुनिया मे मजबूरी जैसा कोई शब्द ही नही बना और परेशानी तो बस बहना है, क्योंकि करोड़ो लोग ज़िन्दगी की रंगमंच में बतौर परेशानी अपने काम को, बिना किसी रुकावट के ऐसे करते है मानो उनका जीवन कितना सरल है-लेकिन वास्तव में ऐसा है नही, जैसा कि हम सब जानते है.
खैर मैं बताते चलूं कि मेरा सम्बंध एक किसान परिवार से होने के कारण, मुझे अपनी थोड़ी व्यस्तता अपने पापा के साथ खेत में बितानी पड़ रही है. पहले मेरा नज़रिया आम था, मगर अब कितना ख़ास हुआ है ये भी नही कह सकते। मैं सुबह 6 बजे के क़रीब- क़रीब अपने काम को रवाना हो जाता हूँ और इस दरमियाँ मैंने कई चीज़ों का अवलोकन किया हूँ, जिसकी चर्चा संक्षेप में करता हूँ।
1- जहाँ तक काम की अहमियत और अपने जीविकोपार्जन के लिए कठोर श्रद्धा, कड़ी परिश्रम को सीखना है तो महिलाओं से बेहतर शायद, हमलोगों को कोई और नही सीखा सकता है । मैंने एहसास किया कि कैसे वो हर रोज़ प्रातः 5 बजे, वो अपने घर का सारा काम, बच्चो का खाना, घर की सफ़ाई, झाड़ू और नियमित काम को करने के बाद पूरे दिन गीली मिट्टी में झुककर काम करती है औऱ तक़रीबन 6 बजे शाम को घर जाती है उसके बाद घर का सारा काम वापस वही करती है। तो मुझे लगता है कि जो मर्दो में मर्द बने फिरते है और जिनका कहना ये है - हम बहुत काम करते है तो निकाल फेंकिए.... वैसे मैं कुछ तस्वीर संग्लन करूँगा कैसे काम करती है।
2-हर सिक्के के दो पहलू होते है। तो कुछ पुरुष प्रधान वर्ग भी बहुत मेहनती, बहुत ज्यादा गंभीर होते है जिन्हें हम हर रोज़ देख ही लेते है वैसे लोग भी है जो मेरे सामने संघर्ष करते है जैसे-हमारे सामने ही चार लोग मिलकर पूरे खेत को जो करीब-क़रीब 2 एकड़ ज़मीन है को एक नया आयाम दे देते है, पानी, डंडे और कुछ दवाइयों से । जिनपे किसान को सहूलियत होती है फसल लगाने में। सचमुच दुनिया तो मेहनतकश लोगों के हाथों में ही है ।
अब थोड़ी नज़र हम अपने अभिनेताओं की डायरियों पर डाले तो सचमुच बहुत कुछ सीखने को मिलता है -अब जब दुनिया के महान रचनाकारों के विचार और अभिनेताओं के विचार आपस में साझा होंगे तो वाज़िब है कि नवीनता तो अवश्य आएगी ।
बाकी अपनी डायरी मैं कल और लिखूंगा, पहली बार अपने दिल की बात किसी के सामने रख रहा हूँ ये भी मेरे लिए बहुत बड़ी बात है और भी बहुत प्रश्न है जो मेरे दिमागों में गूंजती रहती है जिसकी खोज लगतार जारी है। हमेशा कोशिश करता हूँ कि पहले खुद ही तलाश करूँ । बाकी भैया तो हैं ही.
#एदीप राज – अभ्यास का सही उपयोग तभी है जब सही तरीक़े और सही मार्गदर्शन में किया जाय। सोचो, समझो फिर करो या फिर करो, सोचो और समझो.
#चंदन राय – जीवन में समय का महत्व सबसे ज़्यादा है. बीता हुआ वक्त कभी वापस नहीं आता. आज कुछ लोग देर से आए। जिसकी वजह से समयनिष्ठता(punctuality) के फ़ायदे के बारे में जाना। जो कि बिना अपनाए नहीं जाना जा सकता है। इसके फ़ायदे ये हैं की आपको अपने लक्ष्य से भटकने नहीं देता हैं। आपके उत्साह और कार्य-शक्ति को भी कम नहीं होने देता है। शरीर की मांसपेशियों में तनाव और सिकुड़न, सहनशक्ति(स्टैमिना)वृद्धि ,जागरूकता(अवेयरनेस) आदि को लक्ष्य करके आज का अभ्यास हुआ। जिसके ना केवल एक कलाकार के बतौर बल्कि आम ज़िदगी में भी बहुत फ़ायदे है। वार्त्तालाप सत्र में मानसिक चित्रण (visualisation) और कल्पना(imagination) पर चर्चा हुई। बाकि आगे-आगे देखिए होता है क्या?
#प्रशांत कुमार - सर ने आज इमेजिनेशन पावर और विजुलाइजेशन पावर के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि बिना मेनहत के कुछ नही हो सकता। कुछ बनने के लिए आपको काफी मेहनत करना होगा।
#सुशांत - आज हमलोगों के दिन का शुरुआत गुरुजी के डांट से हुआ। हमारी गलती थी कि हमलोगों ने अपने रिहर्सल स्थान को साफ नही किया था। गुरुजी ने कहा कि पेशेवर आर्टिस्ट ऐसे नही होते, ग्रुप का मतलब यह नही होता है कि दो काम करे और बाकी लोग देखें। ग्रुप का मतलब होता है काम जैसा भी हो , सबलोग आपस में मिल कर करे।
उसके बाद हमलोगों ने जम कर व्यायाम किया। आज के सारे व्यायाम नये थे। बॉडी स्ट्रैचिंग और पावर जेनेरेट करने वाला। आज हमलोगों ने सीखा की व्ययाम करते समय थोड़ा सा भी ध्यान इधर उधर होने पर एक बड़ी दुर्घटना हो सकती है। आज गुरु जी ने हमलोगों को पेशेवर, मानसिक चित्रण और कल्पना शब्दों से रुबरु करवाया। एक कलाकार का मानसिक चित्रण और कल्पनात्मक क्षमता मजबुत होना चाहिए।
#निशा- आज हम सब को सर से डांट पड़ी, जो हमारे भलाई के लिए था । आज हमने नया व्यायाम सीखा जो हमारे शरीर के लिए लाभदायक है। आज सर ने दो बातें बताईं (professional ) अनुभवी व्यक्ति और (Imagination Power )कल्पना शक्ति । ये दोनों चीज़े हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं.
#सोनू - आज मेरी एक ग़लती की वजह से मेरे सभी मित्रों को डांट खानी पड़ी, अगर मैं क्लास जाते ही मोबाइल न चलाकर जिस स्थान पर हमलोग व्यायाम करते हैं, उस स्थान की सफाई कर दिया होता तो शायद डांट नहीं खानी पड़ती | खैर जो भी हुआ अच्छे के लिए ही हुआ. कुछ सीखने को तो मिला! बहरहाल रोज़ की तरह आज फिर नये-नये व्यायाम से रूबरू हुआ, सर जी व्यायाम कराने के साथ-साथ उसे समझा भी रहे थे |
#राकेश कुमार- आज दिन की शुरुआत थोड़ी डांट से हुई। शब्द, खामोशी और नज़र से जो मार पड़ी है उसका असर मेरे मन के अंदर तक हुआ है। उससे मुझे शर्मिंदगी महसूस हो रही है। अब मैं नया रूटिंग बनाऊंगा। नित्य नए एक्सरसाइज सीख रहा हूं, लेकिन आज एक नई बात भी सीखने को मिली कि हर एक्सरसाइज का हमारे शरीर, मांसपेशियों और मनःस्थिति पर अलग-अलग असर पड़ता है इसलिए कभी भी एक्सरसाइज को हल्के में नहीं लेना चाहिए वरना उसका दुष्परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। बॉडी एक्सरसाइज के बाद हम लोगो ने दो बातों के बारे मे जाना एक इमेजिनेशन- अपने कल्पना शक्ति को बढ़ाना और अपने भावनाओं के दायरे को बढ़ाना। दूसरा मानसिक चित्रण के बारे मे जानकारी मिली।
#निवास- दुनियां में हर दिन कुछ नया होता है तो क्या हम अपने जीवन में नित्य कुछ नया नहीं कर सकते है? क्या हम अपने जीवन का हर एक दिन नया और बेहतर नहीं बना सकते है?
#आकश- आलस तो मन में होता है और कसूर शरीर पर थोप देते है। आज दिन की शुरुआत व्यायाम के बजाय डांट से हुई । फिर हमलोगों ने व्यायाम करते हुए यह जाना कि व्यायाम करते हुए कैसे सतर्क रहना चाहिए । नहीं तो, लापरवाही बरतने पर शरीर को नुकसान भी हो सकता है। मै बहुत कोशिश करता हूँ व्यायाम को सही ढंग से करूँ पर मुझसे नही हो पाता है। अभी मेरा शरीर जकड़ा हुआ है पर निरंतर कोशिश कर रहा हूँ कि इसे लचीला कर लूँ। मुझे मालूम है अगर मैने एक्सर्साइज़ किया तो फ़ायदा मुझे ही होगा इसलिए एक्सर्साइज़ को मैने कभी छोड़ा नही।
आज यह बात भी सिखा कि कलाकार को हमेशा पेशेवर नज़रिए के साथ कार्य करने की कोशिश करनी चाहिए। घटिया कला प्रस्तुत करने का हक किसी को नहीं है. मेहनत ज़रुरी है लेकिन सोच-समझकर, ना कि गधे की तरह।
#देवांश ओझा - इंसान हमेशा ही कुछ नया चाहता है। वह पुरानी चीज़ों को अपडेट करते रहता है। मेरी सबसे ज्यादा पसंदीदा अभिनेत्री श्रीदेवी का आज निधन हो गया. जैसे ही मैंने यह ख़बर सुना मेरा दिमाग सुन्न हो गया। मन उदास हो गया। आज रूम पर आते ही उनकी फिल्म देखी । देखा तो लगा कुछ लोग आते ही नूर बनके, सारे गुण उनमें भरपूर मात्रा में उपस्थित रहता है । कलाकार का शरीर मर सकता है उसकी कला अमर है.
#अभिनव कश्यप – किसी भी कलाकार में कल्पना शक्ति की प्रचुरता होनी चाहिए।
#अनुज - आप कोई भी काम करते है , और वही काम को एक लय में करते है, तो वह काम बेहतर से बेहतरीन हो जाता है।
हमारा अभ्यास सत्र भी आज ताल , लय का अभ्यास से शुरू हुआ । जिसमें हम अपने समुह के साथ लय में लय मिलाकर कैसे चले इसका अभ्यास किया। जिसमे हमने सीखा की पूरे समूह के ताल से आपको ऊर्जा मिलती है।
#राहुल सिन्हा - एक अभिनेता को सुर-ताल का भी ज्ञान होना चाहिए । जिससे, उसके अभिनय के साथ-साथ संगीत व नृत्य पर भी एक अच्छी पकड़ बन सके। इससे मानसिक संतुलन और शारिरिक संतुलन का सामंजस्य भी मजबूत होता है। सुर-ताल(संगीत) हर जगह मौजूद होती है। हमारे दिल की धड़कन में , चाल में, घड़ी की टिक-टिक में इत्यादि । अर्थात देखा जाए तो सुर-ताल हमारी जीवन में बहुत महत्व रखती है।
#अरुण कुमार - एक अभिनेता को सुर और ताल की अच्छी समझ होनी चाहिए।क्योंकि जब आप मंच पर कोई नाटक खेल रहे होतें हैं,तो नाटक का अपना एक सुर और ताल होता है। उसी सुर और ताल को समझते हुए एक अभिनेता अभिनय करता है।
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