शिक्षित होने और साक्षर होने में ज़मीन आसमान का फर्क है। आज की व्यवस्था साक्षर तो बना रही है, शिक्षित बनाने में उसे कोई रुचि नहीं है। लेकिन यह भी सत्य है कि एक ज़िम्मेदार कलाकार का कार्य केवल साक्षरता मात्र से नहीं चल सकता।
भिन्न-भिन्न प्रकार के अभ्यासों को करना, उसे समझना और फिर उसे शब्दों में सही-सही व्यक्त करना भी एक कला है। आज के अभ्यास को भी शब्दों में व्यक्त किया गया है, जो निम्न है -
#राकेश - आज अभ्यास की शुरुआत शायराना अंदाज़ में हुई। मेरी एक सखी है जो हमारे समूह में नई है उसके लिखे कुछ शायरों से सब का मनोरंजन हो गया। जब उसके लिखे शब्दो को भईया पढ़ रहे थे तो वो शर्मा रही थी। उसके चेहरे को देख के मुझे अपना दिन याद आ गया। कुछ दिन पहले ही मेरा भी यही हाल था जब मेरा मैसेज पढ़ा जा रहा था। फिर भईया उसे समझाते है कि शरमाओ मत इसमें गलत कुछ भी नहीं है और फिर अपनी भावना व्यक्त करने में शर्म कैसा। मुझे भी उससे कुछ सीखने को मिला और मेरे मन में भी कुछ गलतफहमियां थी जो दूर हो गई।
शेरो शायरी के बाद फिर हमलोग अपने-अपने काम में लग गए। आज मुझे अपने आप से ही मुकाबला करने को कहा गया। भईया कहते है पहले स्वयं से ही उसके बाद किसी से बराबरी करना। वो कहते है अपने आप को एक जिज्ञासु छोटे बच्चे के तरह बनाओ तभी कुछ सिख सकते हो। एक कागज़ के तरह जिस पर कुछ भी लिखा जा सके। हम उन कागज़ के तरह बन तो जाते है पर उन हवाओ के वजह से फ़र्फ़राने लगते है। वो हवा जिसकी यहा कोई जरुरत नही थी।" फिर वो अपने गुस्साए हुए नजरो से हमे देखते हैं और फिर लाते है एक कलम जो आग में रहने के कारण लाल है। और फिर लिख देते है हमारे शरीर पर। धूप में परा रहता हूं। शिकायत करने को मन करता है उनसे पर शिकायत करने से पहले ही वो कह पड़ते हैं कि मैंने कभी अपनेआप को लेकर तुमसे कोई शिकायत किया? कभी कहता हूं कि मेरी तबियत ख़राब है? नही करता कि मैं बीमार हूं या मेरी तबियत ख़राब है? हमारी असली लड़ाई अपनेआप से है। पहले हमें खुद पर क़ाबू पाना है उसके बाद ही बाकी चीजें हमारे क़ाबू में हो सकती हैं। और बिना जाने किसी भी चीज़ को मत मानो।
#देवांश ओझा - अब धीरे-धीरे अभ्यास आदत में शामिल हो रही है।
#निवास - समाज में घट रही कोई भी अच्छी-बुरी घटना हमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित करती है। आज जिन चीज़ों के प्रति हम यह सोचकर उदासीनता हो जाते हैं कि छोड़ो, कौन इस पचड़े में पड़े; तो आज नहीं तो कल वो पचड़ा हमारे दरवाज़े पर भी दस्तक देगा।
#अभिनव कश्यप - पैर में मोच की वजह से आज दो दिन के अंतराल के बाद क्लास गया था। सर ने समझाया कि इतनी छोटी-छोटी बात से तुम अपने मिशन से ब्रेक लेने लगे तब तो कुछ नहीं हो सकता। तुम अभ्यास कर नहीं सकते थे तो आकर बैठकर देख तो सकते ही थे। समस्यायों पर विजय पाना सीखो, रुक गए तो ख़त्म हो जाओगे। फिर आज की क्लास में सर ने शिक्षित और साक्षर होने के फर्क को बताया और इस बात पर खूब ज़ोर दिया कि हमें शिक्षित होना है, केवल साक्षर मात्र नहीं।सुशांत कुमार - आज शेरोशायरी का माहौल था फिर अभ्यास। जब व्ययाम करते करते थक जाते और थक कर हार मान जाते तब गुरुजी कुछ ऐसे ऐसे मोटिवेशनल बाते बताते की सारा थकान दूर हो जाता और एक नए ऊर्जा के साथ हमलोग फिर से व्ययाम करने में लग जाते।
आज का हमारा टॉपिक था शिक्षा। आज हमारी शिक्षा लिमिटेड़ हो गई है। आज के शिक्षा का मतलब है किताब पढ़ कर इम्तहान पास कर लेना। आज के शिक्षा का मतलब है किसी तरह अच्छे डिग्री लेकर नौकरी पा लेना। इन सभी कारणों से हमारा शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने कहा है कि जब तक शिक्षा का मूल मकसद नौकरी होगी तब तक समाज मे सिर्फ नौकर ही पैदा होंगें। शिक्षा का मतलब है कि आप जी भी पढ़ते है उसे अपने जीवन में लागू करे , उस ज्ञान का अपने जीवन में इस्तेमाल करे और हो सके तो उस शिक्षा को दूसरे के जीवन में लागू करने की कोशिश करें। इससे हमारा विकाश होगा हमारे समाज का विकाश होगा।
शिक्षा ही एक ऐसा हथियार है जिससे हम अपने समाज में हो रहे बुराइयों को मिटा सकते है, समाज में चले आ रहे वषों पुरानी कुप्रथा तो हटा सकते है।
#सन्देश - आज हमलोगों ने ये सीखा की कोई भी काम करो, लेकिन ईमानदारी से क्योकि की ईमानदारी के रास्ते चलने वाले आपके मंज़िल में बहुत लोग मिलेंगे, इसलिए वहाँ कम्पटीशन कम होगा। लेकिन आज की ये स्थिति है की हर आदमी बेईमानी के रास्ते जाना चाहता है।
#आकाश कुमार - आज सुबह रंगशाला की ओर बढ़ते हुए साइकल से जा रहा था और हमेशा कि तरह कान में ईयरफोन लगाए हुए गुनगूनाते सफर मे बढ़ ही रहा था कि भैया पीछे से आते हुए थोड़ी डाँट लगाते हुए बोले साइकल पर इयरफोन का इस्तेमाल नही करना चाहिये, निकालो इसे कान से।
#प्रशांत कुमार - आज के व्ययाम का मूल मकसद था बॉडी वेट को लाइट करना। आज सर ने हमें शिक्षा से रुबरु करवाया। हमें कैसी शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। शिक्षा प्राप्ती का मूल मकसद क्या है। हमें अपने प्राप्त शिक्षा को अपने जीवन में और सामाजिक उपयोग कैसे करना चाहिए।
#एदीप राज - हर रोज कि तरह व्यायाम किये बस फ़र्क इतना ही था कि हम आज कितना देर तक व्यायाम कर पाते है। और मोटापा कम करने के लिये कुछ नया व्यायाम सीखे।
#सोनू - वो कहते हैं ना कि जब एक ही स्वाद को चख्ते चख्ते मन उब जाए तो कभी दूसरा स्वाद भी चख लेना चाहिए ,ठीक वैसा ही हुआ। आज की शुरुआत बहुत ही हास्यात्मक और आनंदमय थी | फिर हर रोज कि तरह व्यायाम भी किए।
भिन्न-भिन्न प्रकार के अभ्यासों को करना, उसे समझना और फिर उसे शब्दों में सही-सही व्यक्त करना भी एक कला है। आज के अभ्यास को भी शब्दों में व्यक्त किया गया है, जो निम्न है -
#राकेश - आज अभ्यास की शुरुआत शायराना अंदाज़ में हुई। मेरी एक सखी है जो हमारे समूह में नई है उसके लिखे कुछ शायरों से सब का मनोरंजन हो गया। जब उसके लिखे शब्दो को भईया पढ़ रहे थे तो वो शर्मा रही थी। उसके चेहरे को देख के मुझे अपना दिन याद आ गया। कुछ दिन पहले ही मेरा भी यही हाल था जब मेरा मैसेज पढ़ा जा रहा था। फिर भईया उसे समझाते है कि शरमाओ मत इसमें गलत कुछ भी नहीं है और फिर अपनी भावना व्यक्त करने में शर्म कैसा। मुझे भी उससे कुछ सीखने को मिला और मेरे मन में भी कुछ गलतफहमियां थी जो दूर हो गई।
शेरो शायरी के बाद फिर हमलोग अपने-अपने काम में लग गए। आज मुझे अपने आप से ही मुकाबला करने को कहा गया। भईया कहते है पहले स्वयं से ही उसके बाद किसी से बराबरी करना। वो कहते है अपने आप को एक जिज्ञासु छोटे बच्चे के तरह बनाओ तभी कुछ सिख सकते हो। एक कागज़ के तरह जिस पर कुछ भी लिखा जा सके। हम उन कागज़ के तरह बन तो जाते है पर उन हवाओ के वजह से फ़र्फ़राने लगते है। वो हवा जिसकी यहा कोई जरुरत नही थी।" फिर वो अपने गुस्साए हुए नजरो से हमे देखते हैं और फिर लाते है एक कलम जो आग में रहने के कारण लाल है। और फिर लिख देते है हमारे शरीर पर। धूप में परा रहता हूं। शिकायत करने को मन करता है उनसे पर शिकायत करने से पहले ही वो कह पड़ते हैं कि मैंने कभी अपनेआप को लेकर तुमसे कोई शिकायत किया? कभी कहता हूं कि मेरी तबियत ख़राब है? नही करता कि मैं बीमार हूं या मेरी तबियत ख़राब है? हमारी असली लड़ाई अपनेआप से है। पहले हमें खुद पर क़ाबू पाना है उसके बाद ही बाकी चीजें हमारे क़ाबू में हो सकती हैं। और बिना जाने किसी भी चीज़ को मत मानो।
#देवांश ओझा - अब धीरे-धीरे अभ्यास आदत में शामिल हो रही है।
#निवास - समाज में घट रही कोई भी अच्छी-बुरी घटना हमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रभावित करती है। आज जिन चीज़ों के प्रति हम यह सोचकर उदासीनता हो जाते हैं कि छोड़ो, कौन इस पचड़े में पड़े; तो आज नहीं तो कल वो पचड़ा हमारे दरवाज़े पर भी दस्तक देगा।
#अभिनव कश्यप - पैर में मोच की वजह से आज दो दिन के अंतराल के बाद क्लास गया था। सर ने समझाया कि इतनी छोटी-छोटी बात से तुम अपने मिशन से ब्रेक लेने लगे तब तो कुछ नहीं हो सकता। तुम अभ्यास कर नहीं सकते थे तो आकर बैठकर देख तो सकते ही थे। समस्यायों पर विजय पाना सीखो, रुक गए तो ख़त्म हो जाओगे। फिर आज की क्लास में सर ने शिक्षित और साक्षर होने के फर्क को बताया और इस बात पर खूब ज़ोर दिया कि हमें शिक्षित होना है, केवल साक्षर मात्र नहीं।सुशांत कुमार - आज शेरोशायरी का माहौल था फिर अभ्यास। जब व्ययाम करते करते थक जाते और थक कर हार मान जाते तब गुरुजी कुछ ऐसे ऐसे मोटिवेशनल बाते बताते की सारा थकान दूर हो जाता और एक नए ऊर्जा के साथ हमलोग फिर से व्ययाम करने में लग जाते।
आज का हमारा टॉपिक था शिक्षा। आज हमारी शिक्षा लिमिटेड़ हो गई है। आज के शिक्षा का मतलब है किताब पढ़ कर इम्तहान पास कर लेना। आज के शिक्षा का मतलब है किसी तरह अच्छे डिग्री लेकर नौकरी पा लेना। इन सभी कारणों से हमारा शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम ने कहा है कि जब तक शिक्षा का मूल मकसद नौकरी होगी तब तक समाज मे सिर्फ नौकर ही पैदा होंगें। शिक्षा का मतलब है कि आप जी भी पढ़ते है उसे अपने जीवन में लागू करे , उस ज्ञान का अपने जीवन में इस्तेमाल करे और हो सके तो उस शिक्षा को दूसरे के जीवन में लागू करने की कोशिश करें। इससे हमारा विकाश होगा हमारे समाज का विकाश होगा।
शिक्षा ही एक ऐसा हथियार है जिससे हम अपने समाज में हो रहे बुराइयों को मिटा सकते है, समाज में चले आ रहे वषों पुरानी कुप्रथा तो हटा सकते है।
#सन्देश - आज हमलोगों ने ये सीखा की कोई भी काम करो, लेकिन ईमानदारी से क्योकि की ईमानदारी के रास्ते चलने वाले आपके मंज़िल में बहुत लोग मिलेंगे, इसलिए वहाँ कम्पटीशन कम होगा। लेकिन आज की ये स्थिति है की हर आदमी बेईमानी के रास्ते जाना चाहता है।
#आकाश कुमार - आज सुबह रंगशाला की ओर बढ़ते हुए साइकल से जा रहा था और हमेशा कि तरह कान में ईयरफोन लगाए हुए गुनगूनाते सफर मे बढ़ ही रहा था कि भैया पीछे से आते हुए थोड़ी डाँट लगाते हुए बोले साइकल पर इयरफोन का इस्तेमाल नही करना चाहिये, निकालो इसे कान से।
#प्रशांत कुमार - आज के व्ययाम का मूल मकसद था बॉडी वेट को लाइट करना। आज सर ने हमें शिक्षा से रुबरु करवाया। हमें कैसी शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए। शिक्षा प्राप्ती का मूल मकसद क्या है। हमें अपने प्राप्त शिक्षा को अपने जीवन में और सामाजिक उपयोग कैसे करना चाहिए।
#एदीप राज - हर रोज कि तरह व्यायाम किये बस फ़र्क इतना ही था कि हम आज कितना देर तक व्यायाम कर पाते है। और मोटापा कम करने के लिये कुछ नया व्यायाम सीखे।
#सोनू - वो कहते हैं ना कि जब एक ही स्वाद को चख्ते चख्ते मन उब जाए तो कभी दूसरा स्वाद भी चख लेना चाहिए ,ठीक वैसा ही हुआ। आज की शुरुआत बहुत ही हास्यात्मक और आनंदमय थी | फिर हर रोज कि तरह व्यायाम भी किए।
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