हंगामेदार रहा रंग महोत्सव का उद्घाटन
मृत्युंजय प्रभाकर, नई दुनियां. नई दिल्ली। रविवार की शाम राजधानी के कमानी सभागर में भारत रंग महोत्सव का उद्घाटन केंद्रीय संस्कृति मंत्री कुमारी शैलजा और अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने किया। उद्घाटन समारोह के बाद विख्यात रंग निर्देशक रतन थियम के निर्देशन में रवींद्रनाथ टैगोर लिखित नाटक "किंग ऑफ द डार्क चैंबर" का मंचन किया गया। नाटक मणिपुर की रंगसंस्था "कोरस थियेटर ग्रुप" के कलाकरों द्वारा प्रस्तुत किया गया।
भारत रंग महोत्सव का उद्घाटन समारोह उम्मीद के मुताबिक ही हंगामेदार रहा। यह हंगामा राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की अव्यवस्था की वजह से उपजी थी। आयोजन के समय अव्यवस्था का आलम यह था नाटक के निर्देशक रतन थियम तक बहुत मुश्किल से सभागार में प्रवेश कर सके। प्रसिद्ध रंग समीक्षक और नाट्य विशेषज्ञ कविता नागपाल भी घंटों तक द्वार पर खड़ी रहीं। मीडियाकर्मियों को भी अंदर प्रवेश करने की इजाजत नहीं दी गई। उनके साथ ही बड़ी संख्या में रंगप्रेमी बाहर की धक्के खाते रहे। अंदर न जा पाने की खीज में दर्शकों ने हंगामा भी किया।
एशिया के सबसे बड़े इस रंग महोत्सव को लेकर हमेशा से दर्शकों के मन में उत्सुकता रहती है। इस कारण दर्शक भारी संख्या में आते हैं। आम दर्शकों के लिए इस आयोजन में टिकटों और आमंत्रण पत्रों का टोटा लगा रहता है। सभागार की ज्यादातर सीटें रिजर्व रखी जाती हैं और और सीमित संख्या में ही आम दर्शकों को टिकट दिया जाता है। यही कारण है कि कुछ टिकट कटते ही हाउसफुल का बोर्ड लगा दिया जाता है। रानावि की इस अव्यवस्था पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं लेकिन आयोजक कान पर तेल डाले बैठे हैं।
रंगमहोत्सव के रंग में भंग : दर्शक ज्यादा, सीटें कम
(दैनिक भास्कर, 9 जनवरी 2012, दिल्ली)
सभागार की क्षमता से ज्यादा बांटे आमंत्रण पत्र, मीडियाकर्मियों को भी प्रवेश के लिए करनी पड़ी मशक्कत
14वें भारत रंगमहोत्सव के उद्घाटन अवसर पर एक तरफ जहां रानावि की चेयरमैन इसकी भूरी-भूरी प्रशंसा करती दिखीं, वहीं रंगमंच प्रेमियों को नाटक देखने के लिए भारी अफरातफरी और हंगामे का सामना करना पड़ा। रविवार को दिल्ली के प्रसिद्ध कमानी ऑडिटोरियम में इस रंगमहोत्सव का उद्घाटन किया जाना था। लेकिन इस कार्यक्रम में प्रवेश के लिए दर्शकों और प्रबंधकों के बीच भारी हंगामा हुआ, वहीं रंगमहोत्सव के आयोजकों और कमानी ऑडिटोरियम के प्रबंधकों के बीच भी जमकर कहासुनी हुई। आलम यह था कि मीडियाकर्मियों को भी प्रवेश के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी। कॉपरनिकस मार्ग पर लगातार माहौल को बिगड़ता देख बीचबचाव के लिए स्थानीय पुलिस को बुलाना पड़ा।
दरअसल देश के इस सबसे बड़े रंगमहोत्सव के उद्घाटन के लिए यहां सांस्कृतिक मंत्री कुमारी शैलजा, जवाहर सरकार और अभिनेत्री शर्मिला टैगोर को आना था और रानावि के प्रोडक्शन में तैयार नाट्योत्सव के पहले नाटक का मंचन होना था। ऐसे में यहां भारी संख्या में दर्शक पहुंचे। लेकिन निर्धारित समय से करीब आधे घंटे पहले ही लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिससे शाम से ही सभागार के बाहर दर्शकों की भीड़ हो गई और प्रवेश न मिल पाने की वजह से यहां अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हंगामे के बीच कमानी ऑडिटोरियम के प्रबंधक और रानावि के प्रबंधकों में भी बहस शुरू हो गई और दोनों एक-दूसरे पर इस अव्यवस्था का आरोप लगाते रहे। जब रानावि के एके बरुआ से इस विषय में पूछा गया तो उन्होंने इसके लिए कमानी ऑडिटोरियम के नए प्रबंधक की अनुभवहीनता को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सभागार में स्थान होने के बावजूद दर्शकों को प्रवेश से रोका गया और इस वजह से स्थिति हाथ से बाहर हो गई। वहीं कमानी के प्रबंधक का कहना था कि सभागार में दर्शकों की क्षमता से तीन गुना ज्यादा आमंत्रण पत्र बांटे गए। इस वजह से प्रवेश को लेकर इतनी अव्यवस्था फैली। रानावि और कमानी ऑडिटोरियम अधिकारियों की आपसी कहासुनी में दर्शक देर रात तक प्रवेश के इंतजार में खड़े रहे।
नई दिल्ली. देश का सबसे बड़ा नाटक उत्सव 14वां भारत रंगमहोत्सव रविवार को कमानी ऑडिटोरियम में एक नाटक के साथ शुरू हुआ। महोत्सव के उद्घाटन अवसर पर मौजूद केंद्रीय संस्कृति मंत्री कुमारी शैलजा ने कहा कि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की सफलता का श्रेय यहां के बहुप्रतिभाशाली व्यक्तित्वों को जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार नाटकों के मंचन के लिए अधिक दर्शकों की क्षमता वाले थिएटर और रंगमंच से जुड़ी अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए पूरी मदद करेगी। सरकार की पूरी कोशिश होगी कि अगले साल तक थिएटर प्रेमियों को यह सुविधा मुहैया कराई जा सके। रानावि की चेयरपर्सन अमल अलाना ने कहा कि इस साल भारत रंग महोत्सव के दौरान विभिन्न भाषाओं और थीम वाले नाटकों का आनंद लगभग साठ हजार से अधिक दर्शक ले सकेंगे। रानावि की निदेशक अनुराधा कपूर ने बताया कि नाट्य उत्सव के दौरान इस बार सांथाली, तुलू के साथ एक अन्य भाषा के नाटकों का पहली बार मंचन किया जाएगा। अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने कहा कि थिएटर में अभिनय करना फिल्मों में काम करने से ज्यादा मुश्किल है। इसके बाद रतन थियम निर्देशित व रविंद्रनाथ टैगोर की रचना पर आधारित नाटक किंग ऑफ द डार्क चैम्बर का मंचन किया गया।
एशियाई रंगमंच के महाकुंभ में डूबी अंतरराष्ट्रीय ख्याति
दैनिक जागरण
सभागार के बाहर खड़े नाट्यकर्मी व दर्शक |
समारोह में प्रवेश का वैध पास होने के बावजूद रोके गए दर्शकों ने जमकर हंगामा भी किया और नारे लगाए। दर्शकों की सुरक्षा गार्डो व पुलिस कर्मियों से तीखी बहस भी हुई, लेकिन इतना सबकुछ होने के बावजूद एनएसडी के किसी प्रतिनिधि ने इसकी सुध लेने की जहमत नहीं उठाई। सर्द रात में करीब एक घंटे तक सभागार के बाहर प्रवेश करने के बाद लोग आयोजकों को लानत-मलानत भेजते हुए अपने-अपने घरों को लौट गए।
एनएसडी के 14वें वार्षिक नाट्य महोत्सव भारत रंग महोत्सव का रविवार को उद्घाटन होना था। उद्घाटन केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा व मशहूर अभिनेत्री शर्मिला टैगोर को करना था। उद्घाटन स्थल के रूप में कमानी सभागार का चयन किया गया था। लेकिन जब बड़ी संख्या में आमंत्रित विदेशी डेलिगेट्स, रंगमंच प्रेमी, कलाकार व मीडियाकर्मी तयशुदा समय पर उद्घाटन स्थल पर पहुंचे तो उन्हें प्रवेश देने से रोक दिया गया। मीडिया कर्मियों व अन्य आमंत्रित लोगों द्वारा सुरक्षाकर्मियों से गेट खोलने अथवा आयोजकों के प्रतिनिधियों को बुलाने का आग्रह करने के बावजूद समस्या के समाधान के लिए वहां कोई नहीं पहुंचा। इस पर नाराज दर्शकों ने जमकर हूटिंग की और नारे लगाए। एनएसडी के कलाकारों ने गेट के बाहर ही ढपली बजाकर कटाक्षपूर्ण गीत गाने शुरू कर दिये। कुछ लोगों की पुलिस व सुरक्षाकर्मियों से झड़प भी हुई और लोगों द्वारा गेट फांद कर प्रवेश करने की भी कोशिश की गई।
दैनिक जागरण से बातचीत में नाटक देखने जापानी दल के साथ आई मोमीको ने बताया कि वैध प्रवेश पास होने के बावजूद उन्हें व उनके दल को प्रवेश करने नहीं दिया गया। मोमीको ने बताया कि उसने भारंगम के बारे में काफी कुछ सुन रखा था, लेकिन यहां की अव्यवस्था से उन्हें काफी निराशा हुई है। स्विट्जरलैंड के बोरिस ने भी अव्यवस्था पर निराशा जताते हुए कहा कि यदि प्रवेश नहीं देना था तो उन्हें निमंत्रण देकर बुलाया ही क्यों गया? मणिपुर के भूपेंद्र ने बताया कि उन्हें अंदर न जाने देने का कोई कारण तक नहीं बताया जा रहा है। गार्ड कहते हैं कि अंदर जगह नहीं है। यदि जगह नहीं थी तो उन्हें निमंत्रण देकर बुलाया ही क्यों गया। इस बाबत अपना पक्ष रखने को एनएसडी की ओर से कोई उपलब्ध नहीं हो सका।
कुछ और भी हैं ... यहाँ क्लीक करें
http://rangvarta.blogspot.com/2012/01/blog-post_08.html
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रानावि की यह कुवयवस्था पिछले कुछ सालों से बदस्तूर जारी है। यह शर्मनाक है।
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