रंगमंच तथा विभिन्न कला माध्यमों पर केंद्रित सांस्कृतिक दल "दस्तक" की ब्लॉग पत्रिका.

गुरुवार, 28 जून 2012

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और बिहार का रंगमंच


विषय पर बोलते हुए प्रो. संतोष कुमार 

पटना के रंगकर्मी अभिषेक नंदन की रिपोर्ट

विकास पटना के वेहद सक्रिय रंगकर्मी थे. जिनका निधन २००३ में आज के हीं दिन मात्र २१ वर्ष की उम्र में हो गया था. इस दौरान विकास ने कई नुक्कड़ और मंच नाटकों में भाग लिया.विकास रंगमंच के अलावे छात्र राजनीति में सक्रिय रुप से जुड़े थे. अपने गांव मखदुमपुर से रंगकर्म की शुरुवात करने वाले विकास ने नहीं कबूल, अंधेरनगरी, महादेव, मंगनी बन गए करोड्पती, मुक्तिबोध की कहानी वह , गड्ढ़ा सहित कई नाटकों में अभिनय किया.
आज (२६ जून २०१२ )युवा रंगकर्मी विकास की स्मृति में रंगकर्मियों कलाकारों का साझा मंच(हिंसा के विरूद्ध संस्कृतिकर्मी) के बैनर तले ‘राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय और बिहार का रंगमंच’ विषय  पर  बातचीत का भी आयोजन किया गया.
कार्यक्रम की शुरुआत उपस्थित लोगों द्वारा विकाश के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया.
विकास विलक्षण प्रतिभा का धनी था. वह सात वाद्य यंत्र बजाता था. वह अपने प्रतिभा का इस्तेमाल किसी खास विचार के साथ करता था और अपने समाजिक और राजनीतिक उतरदायित्व के प्रती काफी संवेदनशील था. उक्त बातें संगोष्ठी में विकास के साथ काम किये सुभाष ने कही.
दूसरे वक्ता के रुप में आज के बातचीत के विषय पर बोलते हुए विनोद अनुपम ने कहा कि बातचित का विषय काफी अहम है और काफी दिनो से चला आ रहा है. एक समय बिहार से काफी लड़के  राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय गये, जिसका दुष्प्रभाव यहा के रंगमंच पर पड़ा. वे दुबारा बिहार से जुड़ नहीं पाये. इसलिए बिहार के लिए ये बड़ी बात नहीं है कि यहां से किसी का एन.एस.डी में नहीं हुआ ! पर सवाल ये है कि जनता के पैसों से चल रहे इस संस्थान में आखिर बिहार के लड़के क्यों नहीं ? क्या बिहारी प्रतिभा से डर गया है ये संस्थान ? या इसका कोइ राजनैतिक कारण है, जो बिहार को जगह नहीं देना चाह रहा है.
कुमार अनुपम ने अपनी बात रखते हुये कहा कि राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय एक भ्रष्ट संस्था है जो पुरे देश के रंगमंच को प्रतिनिधित्व करने लायक नहीं है. हमें मिल-जुल कर अपने तरीके से इसके रीव्यु पर प्रहार करना होगा तभी हम बदलाब की भूमिका तय करेंगे.
अगले वक्ता के रुप में प्रो0 संतोष कुमार ने कहा कि अस्सी  के दशक में  मै भी  सक्रिय था और उस समय विरोध का रंगमंच था. विरोध हमेशा सरकार का, व्यवस्था का होता है और जब सरकार का विरोध होता है तो रोजी-रोटी का सवाल पैदा हो जाता है. ये मामला राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय  के साथ भी है. बिहार के लड़को के साथ अगर गलत हुआ है तो विरोध की आवाज़ मुखर होनी ही चाहिए. और हमे अपने हक के लिय खुद लड़ना होगा जिसकी शुरुआत प्रेमचंद रंगशाला में ताला जड़ करें जो आज सरकारी भवन बन रह गया है.
सभा को सम्बोधित करते हुए राजीव रंजन श्रीवास्तव ने कहा कि झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे हिन्दी पट्टी क्षेत्रों में बड़े फलक पर रंगमंच में काम हो रहा है पर इन क्षेत्रों से किसी का ना चुना जाना भारी आश्चर्य में डालता है. वर्कशाप से लगातार ख़बरें आ रहीं थीं की बिहार के छात्र का काफी अच्छा कर रहें हैं पर अंत में किसी का ना होना राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय पर कई सारे सवाल एक साथ छोड़तें हैं.
अभियान सांस्कृतिक मंच से जुड़े अनीस अंकुर कड़े शब्दों में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के खिलाफ विरोध दर्ज करते हुए कहा कि  नाट्य विद्यालय एक ऐसा थियेटर ला रहा है जिसका कोई समाजिक सरोकार नहीं है. लाखों रूपय खर्च कर  नाटक को डेकोरेशन और सजावट की वस्तु बना दिया है.  ऐक्टर को सब्जेक्ट के बजाय आब्जेक्ट में तब्दील कर दिया है. आज बिहार के कुछ एन.एस.डी के लोगो द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है कि अगर आप राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय  का विरोध करते हैं तो इस से बिहार की छवि खराब होगा मुझे लगता है कि उन्हें यहां आकर देखना चाहिए की  विद्यालय की क्या छवी बिहार में बची है. एन.एस.डी का अब नाम हो गया है ‘नॉट सेंसियर फॉर ड्रामा’.राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय  आज करप्सन और अय्यासी का अड्डा बना हुआ है.
संगोष्ठि की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ट रंगकर्मी कुणाल जी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा की मै कठोर से कठोर शब्दों में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की आलोचना करता हूं.  नाट्य विद्यालय आज कलाकार कम क्राफ्ट और जिम्नास्टीक लेबर ज्यादा तैयार कर रही है.  एन.एस.डी एक डुबता जहाज है आप अपने यहां मन लगा काम करें. सभा को अजीत कुमार और ध्रुव कुमार ने भी सम्बोधित किया. मंच संचालन जयप्रकाश ने किया.

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