रंगमंच तथा विभिन्न कला माध्यमों पर केंद्रित सांस्कृतिक दल "दस्तक" की ब्लॉग पत्रिका.

रविवार, 27 जनवरी 2013

जयपुर में समकालीन रंगमंच


राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर में चल रहे साहित्य उत्सव के दौरान रंगमंच पर आधारित पत्रिका समकालीन रंगमंच का भी शहर में संस्था रंगशीर्ष के सहयोग से लोकार्पण हुआ। पत्रिका का विमोचन प्रख्यात साहित्यकार और चिंतक डॉ. अशोक वाजपेयी ने किया। पिंक सिटी प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में रंगमंच की आवाज़ बनने का मिशन लिए इस पत्रिका और रंगकर्मियों के साथ साथ समाज के बीच ऐसी पत्रिका की आवश्यक्ता और रंगमंच के वर्तमान परिदृश्य को लेकर एक परिचर्चा भी हुई। इस परिचर्चा और समारोह में अशोक वाजपेयी के अलावा जयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद श्री राजाराम भादू, राजस्थान के वरिष्ठ रंगकर्मी श्री अशोक राही, इप्टा जयपुर के युवा थिएटर निर्देशक श्री संजय विद्रोही ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन देते हुए पत्रिका के सम्पादक राजेश चंद्र ने उस पीड़ा और संघर्ष के बारे में बात की, जिससे हिंदी का एक आम रंगकर्मी गुज़रता है। राजेश चंद्र ने कहा कि उस घनीभूत पीड़ा और संघर्ष की भावना से ही इस पत्रिका का जन्म हुआ है, जिसे आगे ले जाना रंगकर्मियों के साथ साथ रंगमंच के दर्शकों के हाथ भी है। राजेश चंद्र ने पत्रिका की ज़रूरत के बारे में कहा कि ये हिंदी की पहली ग़ैर संस्थानिक पत्रिका है, और ये ही इसकी आवश्यक्ता है। मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए डॉ. अशोक वाजपेयी ने रंगकर्म को सबसे अनोखी कला बताते हुए, दर्शक और रंगकर्मी के सम्बंधों के धागों को पिरो दिया। डॉ. वाजपेयी ने रंगकर्मियों और रंगमंच की दुर्दशा के लिए सरकारी तंत्र के साथ साथ राजनैतिक नेतृत्व को भी दोषी ठहराते हुए, इस पत्रिका को अपनी शुभकामनाएं दीं और रंगमंच के आने वाले भविष्य के लिए दिल्ली के बाहर विकेंद्रित नाट्य समूहों की ज़िम्मेदारी को अहम बताया। कार्यक्रम में उपस्थित सभी वक्ताओं ने समकालीन रंगमंच के उज्ज्वल भविष्य के लिए सकरात्मक कामनाएं की और पत्रिका के लिए अमूल्य सुझाव भी दिए।
Rajasthan's capital Jaipur the pink city in literature-based magazine on contemporary theatre during the Festival Theatre in the city of rangashirsh was also the organization. the eminent writer and thinker magazine released. Ashok Vajpayee. Pink City Press Club held a program in the mission theatre voice along with the magazine and rangakarmiyon to society often of a magazine and a discussion on the current landscape of theatre. in addition to the discussion and the senior writer Jaipur Ashok Vajpayee and Shri Rajaram bhadu shikshavidSenior Theatre personality, Rajasthan Shri Ashok, Jaipur, young theater director passer, IPTA Mr. Sanjay rebel also welcome udbodhan. program, magazine editor Rajesh Chandra has talked about the pain and conflict, which is a common Hindi Theatre personality swims. Rajesh Chandra said that a sense of anguish and conflict that the condensed magazine is bornThat move forward together with the theatre audience hand rangakarmiyon. Rajesh Chandra said that the need of the magazine it is the first Hindi non institutional magazine, and as it is often speaking as keynote speaker Dr.. Ashok Vajpayee rangakarm, the most unique art, and theatre personality of the sambandhon threads to piro. Dr. Vajpayee rangakarmiyon and theatre along with Government for the plight of the system blame the political leadership, the magazine also wishes for the future of theatre and courted Delhi vindicator out of theatrical groups responsible for key present in the program speakers. contemporary theatre for a bright future of positive factor for invaluable suggestions and desires of the magazine. (Translated by Bing)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें