रंगमंच तथा विभिन्न कला माध्यमों पर केंद्रित सांस्कृतिक दल "दस्तक" की ब्लॉग पत्रिका.

शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

पीपली लाइव’ के नायक ओंकारदास मानिकपुरी

हबीब तनवीर जी द्वारा संचालित नया थियेटर से जुड़े ओमकारदास से बातचीत 


ओमकार और रघुवीर यादव 
आप अपने बारे में कुछ बतायें ।
मैं एक मज़दूर परिवार में पैदा हुआ हूं और मेरे मां-बाप मज़दूरी करते रहे हैं। सच कहूं तो मैं ईंट-गारों के बीच ही पला-बढ़ा हूं। पांचवीं तक पढ़ाई करने के बाद पढ़ाई-लिखाई से मेरा कोई रिश्ता बचा नहीं, सो मेहनत-मजदूरी करके ही जीवन चलता रहा है। भिलाई शहर में मैंने बतौर मज़दूर कई साल काम किए हैं. मज़दूरी से बात नहीं बनी तो सब्जी की दूकान भी लगाई और आलू प्याज भी बेचे।

आप इन सब चीजों को छोड़कर एक्टिंग कब से करने लगे।
पहली बार साल 1999 में बीबीसी के सहयोग से आयोजित एक वर्कशाप में मुझे साक्षरता और कुष्ठ रोग पर केंद्रित एक नाटक में भाग लेने का अवसर मिला। इस वर्कशाप के समापन समारोह में हबीब तनवीर साहब मुख्य अतिथि बन कर आए थे।नाटक में मेरा काम देखने के बाद उन्होंने मुझे रायपुर बुलवाया और वहां कुष्ठ पर ही एक नाटक सुनबहरी में मुझे काम दिया. इस तरह मैं हबीब तनवीर के ‘नया थिएटर’ से जुड़ गया। अगर हबीब तनवीर मुझे ‘नया थिएटर’ में लेकर नहीं गए होते और आज मैं इस मुकाम पर नहीं होता।

पीपली लाइव से कैसे जुड़े ।
पीपली लाइव में काम के लिए मैंने एक छोटे से रोल मछुआ के लिये ऑडिशन दिया था लेकिन ऑडिशन देखने के बाद आमिर ख़ान, अनुषा जी और महमूद फारुखी जी ने कहा कि नत्था के लिए इससे बेहतर कोई नहीं हो सकता। इस तरह नत्था के लिये मैं चुन लिया गया।
सुनने में आ रहा है कि आमिर खान आपके काम से बहुत खुश हैं।
फ़िल्म पूरी होने के बाद आमिर खान मेरे अभिनय से खुश थे। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि ओंकार को देखने के बाद मेरी हिम्मत ही नहीं हुई कि मैं नत्था का रोल करूं।
यह आपकी पहली फिल्म है शूटिंग का अनुभव कैसा रहा ।
‘पीपली लाइव’ की शूटिंग के पहले दिन जब कैमरा मेरे सामने था तो मैं डर गया। फिर फ़िल्म की निर्देशक अनुषा रिजवी ने मुझे समझाया कि आप ‘नया थिएटर’ के कलाकार हैं, आप क्यों घबरा रहे हैं? यह कैमरा-वैमरा छोड़िए और आप समझिए कि आप स्टेज पर नाटक कर रहे हैं।खैर, पहले दिन तो मैं डरा हुआ ही रहा लेकिन दूसरे दिन से डर जाता रहा. कोई ढाई महीने तक शूटिंग हुई।

लेकिन आप तो थियेटर करते हैं फिर ये डर…
थिएटर तो थिएटर है। वहां आप सीधे दर्शक से मुखातिब होते हैं। वहां आपके पास खूब स्पेस होता है. लेकिन ये भी है कि वहां री-शूट नहीं है। आपने कोई डॉयलॉग बोलने में गड़बड़ी की तो वो गया। फ़िल्म में आप रिटेक पर रिटेक करवा सकते हैं. लेकिन यहां फ्रेम की बंदिश है कि हाथ अगर इस ऊंचाई तक उठाना है तो इसे आप उससे कम या ज़्यादा नहीं कर सकते।
फिल्म में नत्था हालात का मारा है पर उसका फिल्मांकन मजाक में किया गया है । इस पर आपकी क्या राय है।
फ़िल्म में नत्था से कोई नहीं पूछता कि तुम क्या चाह रहे हो. जो भी आता है, वह यही सवाल करता है कि तुम क्यों मरना चाहते हो? आत्महत्या के फैसले के बाद तुम्हें कैसा लग रहा है? कोई ये नहीं पूछता कि नत्था क्या चाह रहा है. फ़िल्म में उसके साथ तो कॉमेडी होती ही रहती है।मुझे भी फ़िल्म में नत्था को देख कर खूब हंसी आई। अपने शहर में लौटने के बाद मैंने फ़िल्म नहीं देखी है। टॉकीज़ में जब मैंने पहली बार ‘पीपली लाइव’ देखी तो मेरे मन में यही भाव आया कि किसी समय मैं ऐसी ही टॉकीज़ में बैठ कर फ़िल्म देखता था, आज लोग मेरी फ़िल्म देख रहे हैं।
आपके परिवार में औऱ कौन कौन हैं
घर में मां हैं, एक छोटा भाई है, पत्नी और तीन बच्चे हैं. पूरे परिवार ने फ़िल्म देख ली है और सब खुश हैं. बड़ी बेटी कॉलेज में है. उससे छोटा बेटा पांचवी में पढ़ रहा है. छोटी बेटी पहली कक्षा में है।बेटे ने मेरे साथ फ़िल्म में मेरे बेटे की भूमिका निभाई है. उसे मैं कभी-कभार थिएटर में ले जाया करता था।अपनी पत्नी सहित परिवार के दूसरे सदस्यों को भी मैं अपने शो में ले जाता रहा हूं और घर वालों ने हमेशा मेरे काम की सराहना ही की है। मेरी पत्नी को भी अच्छा लगता है कि मैं थिएटर करता हूं. ‘पीपली लाइव’ में मेरा काम देख कर वो बहुत खुश हैं।

पीपली लाइव के बाद आपके जीवन में क्या परिवर्तन आया है।
मेरे ख्याल से मैं पहले जैसा था, अब भी वैसा ही हूं। जीवन में भी कोई खास बदलाव नहीं आया है। हां, देखने वालों का नजरिया ज़रुर बदला है।फ़िल्म में मीडिया नत्था के पीछे रहता था, अब अपने शहर में भी मैं वास्तव में ‘पीपली लाइव’ हो गया हूं। मीडिया लगातार घेरे रह रहा है।फ़िल्म रिलीज होने के बाद जिस दिन मैं मुंबई से लौटा, उस दिन मेरे मुहल्ले में जितने लोग उमड़े, उनको संभाल पाना मुश्किल था. अब यहां हूं तो मेरे जीजा, मेरे भांजे संभाल पा रहे हैं।
आपके गांव के लोग आपसे कैसे मिल रहे हैं।
जब से मैं अपनी बस्ती में लौटा हूं, तब से हर रोज सम्मान का सिलसिला चल रहा है. मुझे अच्छा भी लग रहा है कि पहली फ़िल्म से ही लोग मुझे जानने लगे हैं, मुझे इतना सम्मान दे रहे हैं।
अब आगे की क्या योजना है।
फ़िल्म के कुछ प्रस्ताव हैं लेकिन मैंने अभी किसी को हां नहीं कहा है. फ़िल्म के बारे में मैं आमिर जी से ज़रुर सलाह लेना चाहूंगा क्योंकि फ़िल्म मेरे लिए एकदम नया माध्यम है. फिलहाल तो रंगमंच में ही व्यस्तता रहेगी।
बीबीसी से साभार 

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