रंगमंच तथा विभिन्न कला माध्यमों पर केंद्रित सांस्कृतिक दल "दस्तक" की ब्लॉग पत्रिका.

मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

इप्टा का तेरहवां राष्ट्रीय सम्मलेन



दुनियां की सबसे बड़ी नाट्य समूह इप्टा का तेरहवां राष्ट्रीय सम्मलेन भिलाई में चल रहा है. प्रस्तुत है रंगवार्ता की ये रिपोर्ट .

जनगीतों की धूम और ‘लांग लीव इप्टा’ व ‘मार्च ऑन इप्टा मार्च ऑन’ के नारों के बीच भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) का 13 वां राष्ट्रीय सम्मेलन इस्पात नगरी में शुरू हुआ। देश भर से आए 800 से ज्यादा प्रतिनिधियों के बीच नेहरू हाउस में ध्वजारोहण करते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रणवीर सिंह ने कहा कि इप्टा पूरी दुनिया में थियेटर और कल्चर की सबसे बड़ी संस्था है, जो अपने नृत्य, गीत और नाटक के द्वारा समाज में जागरूकता का काम कर रही है। 

इस मौके पर इप्टा भिलाई और बिहार ने जन गीत गाए। ध्वजारोहण स्थल शरीफ अहमद मुक्ताकाशी मंच के बायीं ओर लोक कला वाद्य संग्राहक रिखी क्षत्रिय और दाहिनी ओर फोटोग्राफर अनिल कामड़े के खींचे छायाचित्रों की प्रदर्शनी लगी है। एक कमरे में काष्ठ शिल्पी श्रवण चोपकर द्वारा बिना किसी जोड़ के लकडिय़ों पर की गई नक्काशी का अद्भुत नमूना प्रदर्शनी में देखने मिल रहा है वहीं दीवारों पर जयपुर के पंकज दीक्षित के कविता पोस्टर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। ध्वजारोहण के बाद इप्टा का प्रतिनिधि सम्मेलन सभागार में हुआ। इसकी अध्यक्षता पी. गोपालकृष्ण, रणवीर सिंह और समीक बंदोपाध्याय ने की। राष्ट्रीय महासचिव जितेंद्र रघुवंशी ने अपने प्रतिवेदन में दिवंगत साथियों विष्णु प्रभाकर, हबीब तनवीर, शरीफ अहमद, डॉ. कमला प्रसाद, प्रभाष जोशी, मणि कौल, शम्मी कपूर, अदम गोंडवी, जगजीत सिंह एवं अन्य को श्रद्धांजलि अर्पित की। इप्टा ने आतंकवाद और दंगों के दौरान मारे गए लोगों को भी श्रद्धांजलि दी। श्री रघुवंशी ने कहा कि इप्टा मजबूत लोकपाल बिल के पक्ष में है और सिटीजन चार्टर को लागू करवाना भी चाहता है। उन्होंने कहा कि आज भारत के 20 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में इप्टा की इकाइयां सक्रिय हैं और हम नेशनल कल्चरल फोरम बनाने प्रयासरत हैं। इसके उपरांत ‘जन संस्कृति-समय के साथ मुठभेड़’ पर आधार वक्तव्य देते हुए डॉ. जावेद अख्तर खान ने कहा कि हमारे नाटक और गीत अगर बच्चों के चेहरों पर मुस्कुराहट न ला सकें तो किस काम के। ताकत के सामने की गिड़गिड़ाहट को निर्भिक स्वर न दे पाने वाले नाटक और गीत हमें नहीं चाहिए। 

शाम को इप्टा की राष्ट्रीय सांस्कृतिक रैली आकाशगंगा सुपेला से निकली। यहां 4 बजे तक आंध्रप्रदेश प्रजा नाट्य मंडली इप्टा, इप्टा आगरा, पंजाब,झारखंड, बिहार, राजस्थान, देहली राज्य, जम्मू कश्मीर सहित अन्य राज्यों के इप्टा के दल इकट्ठा हो गए थे। श्रमजीवी पत्रकार संघ की ओर से इनका स्वागत किया गया। पंथी करते छत्तीसगढ़ी कलाकारों की अगुवाई में यह रैली जेपी चौक से सेंट्रल एवेन्यू के लिए निकली। यहां जगह-जगह इस रैली का स्वागत किया गया। रैली सेंट्रल एवेन्यू से सेक्टर-1 पार्क-स्टेडियम होते हुए कार्यक्रम स्थल में लौटी। देर शाम खचाखच भरे सभागार (हबीब तनवीर रंगमंच) में बैंगलुरु से आए वरिष्ठ रंगकर्मी प्रसन्ना ने त्रिदिवसीय समारोह का उद्घाटन किया। इस मौके पर मंच पर कुलदीप सिंह, विनोद कुमार शुक्ल, सुभाष मिश्र,सीताराम, हिमांशु राय, जॉन मार्टिन नेलसन, अंजन श्रीवास्तव, रणवीर सिंह, अशोक भौमिक, जितेंद्र रघुवंशी, पी.गोपालकृष्ण, राजेश श्रीवास्तव, जुगल किशोर,राकेश व पी. संबा शिव राव सहित अन्य लोग मौजूद थे। छत्तीसगढ इप्टा के डोंगरगढ़ वालों ने उद्घाटन समारोह के बाद हबीब तनवीर रंगमंच पर दो जन गीत प्रस्तुत किए।मुंबई इप्टा का नाटक अंजन श्रीवास्तव अभिनीत ‘कशमकश’के अंश प्रस्तुत किए गए। कुलदीप सिंह की कबीर पर प्रस्तुति हुई और आगरा इप्टा ने नाटक ‘किस्सा एक अजनबी का’ प्रस्तुत किया।

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